১১০৩

পরিচ্ছেদঃ ১১. ইদ্দত পালন, শোক প্রকাশ, জরায়ু শুদ্ধিকরণ ইত্যাদির বর্ণনা - গৰ্ভধারিণীর স্বামীর মৃত্যুর পর ইদ্দাত পালন করা

১১০৩। মিসওয়ার ইবনু মাখরামাহ (রাঃ) হতে বর্ণিত যে, সুবায়’আ আসলামীয়া তার স্বামীর মৃত্যুর কয়েকদিন পর সন্তান প্রসব করে। এরপর সে নবী সাল্লাল্লাহু আলাইহি ওয়াসাল্লাম-এর কাছে এসে বিয়ে করার অনুমতি প্রার্থনা করে, তিনি তাকে অনুমতি দেন। তখন সে বিয়ে করে।[1]

এর মূল হাদীস বুখারী ও মুসলিম-এ রয়েছে।[2] তাতে আছে—তিনি তাঁর স্বামীর মৃত্যুর ৪০ রাত পর সন্তান প্রসব করেছিলেন।

আর মুসলিমের শব্দে এসেছে— যুহরী (তাবি’ঈ) বলেছেনঃ রক্তস্রাব হওয়া অবস্থায় বিবাহ হওয়াতে আমি ত্রুটি মনে করি না, কিন্তু পবিত্র না হওয়া পর্যন্ত স্বামী যেন তার নিকটবর্তী না হয়।[3]

عَنْ الْمِسْوَرِ بْنِ مَخْرَمَةَ - رضي الله عنه: أَنَّ سُبَيْعَةَ الْأَسْلَمِيَّةَ - رَضِيَ اللَّهُ عَنْهَا - نُفِسَتْ بَعْدَ وَفَاةِ زَوْجِهَا بِلَيَالٍ, فَجَاءَتْ النَّبِيَّ - صلى الله عليه وسلم - فَاسْتَأْذَنَتْهُ أَنْ تَنْكِحَ, فَأَذِنَ لَهَا, فَنَكَحَتْ. رَوَاهُ الْبُخَارِيُّ
وَأَصْلُهُ فِي الصَّحِيحَيْنِ
وَفِي لَفْظٍ: أَنَّهَا وَضَعَتْ بَعْدَ وَفَاةِ زَوْجِهَا بِأَرْبَعِينَ لَيْلَةً
وَفِي لَفْظٍ لِمُسْلِمٍ: قَالَ الزُّهْرِيُّ: وَلَا أَرَى بَأْسًا أَنْ تَزَوَّجَ وَهِيَ فِي دَمِهَا, غَيْرَ أَنَّهُ لَا يَقْرَبُهَا زَوْجُهَا حتَّى تَطْهُرَ

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صحيح. رواه البخاري (5320)
روى البخاري (5318)، ومسلم (1485)، عن أم سلمة زوج النبي صلى الله عليه وسلم؛ أن امرأة من أسلم يقال لها سُبيعة، كانت تحت زوجها، توفي عنها وهي حبلى، فخطبها أبو السنابل بن بعكك، فأبت أن تَنكحه، فقال: والله ما يصلح أن تَنكحيه حتى تعتدِّي آخر الأجَلَيْن، فمكثت قريبا من عشر ليال، ثم جاءت النبي صلى الله عليه وسلم فقال: «انكحي». واللفظ للبخاري. وروى أيضا البخاري (5319)، ومسلم (1484)، وعن سبيعة نفسها أنها سألت النبي صلى الله عليه وسلم؟ فقالت: أفتاني إذا وضعت أن أنكح. واللفظ للبخاري. ولفظ مسلم: فأفتاني بأني قد حللت حين وضعت حملي. وأمرني بالتزوج إن بدا لي

عن المسور بن مخرمة - رضي الله عنه: ان سبيعة الاسلمية - رضي الله عنها - نفست بعد وفاة زوجها بليال, فجاءت النبي - صلى الله عليه وسلم - فاستاذنته ان تنكح, فاذن لها, فنكحت. رواه البخاري واصله في الصحيحين وفي لفظ: انها وضعت بعد وفاة زوجها باربعين ليلة وفي لفظ لمسلم: قال الزهري: ولا ارى باسا ان تزوج وهي في دمها, غير انه لا يقربها زوجها حتى تطهر - صحيح. رواه البخاري (5320) روى البخاري (5318)، ومسلم (1485)، عن ام سلمة زوج النبي صلى الله عليه وسلم؛ ان امراة من اسلم يقال لها سبيعة، كانت تحت زوجها، توفي عنها وهي حبلى، فخطبها ابو السنابل بن بعكك، فابت ان تنكحه، فقال: والله ما يصلح ان تنكحيه حتى تعتدي اخر الاجلين، فمكثت قريبا من عشر ليال، ثم جاءت النبي صلى الله عليه وسلم فقال: «انكحي». واللفظ للبخاري. وروى ايضا البخاري (5319)، ومسلم (1484)، وعن سبيعة نفسها انها سالت النبي صلى الله عليه وسلم؟ فقالت: افتاني اذا وضعت ان انكح. واللفظ للبخاري. ولفظ مسلم: فافتاني باني قد حللت حين وضعت حملي. وامرني بالتزوج ان بدا لي

হাদিসের মানঃ সহিহ (Sahih)
পুনঃনিরীক্ষণঃ
বুলুগুল মারাম
পর্ব - ৮ঃ বিবাহ (كتاب النكاح)